भोजपुरी गीत : डॉ.उमाशंकर चतुर्वेदी 'कंचन'
भोजपुरी गीत
सोमवार, 19 मार्च 2012
माई क दुलार
गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011
ससुई के अंचरा क थाती हवे बेटी
ई त बेटी नाहीं देखीं गंगाजल हवे ना ।
ई त परम पवित्र तुलसीदल हवे ना ॥
नइहर ससुर में उमर बंटि जाला ,
सुखवा आ दुखवा के दिन कटि जाला ,
बारों मास फरे वाला ऋतुफल हवे ना ।
ई त बेटी नाहीं देखीं गंगाजल हवे ना ।।
जेकरा के दान कइले पपवा पराला ,
घुंघटा सफल जब अँचर भरि जाला ,
दूनोकुल तारे वाली ई तरल हवे ना ।।
माई के परान क पियार पाती बेटी ,
ससुई के अंचरा क थाती हवे बेटी ,
अपना पति खातिर माया ई प्रबल हवे ना ।
ई त बेटी नाहीं देखीं गंगाजल हवे ना ।।
देवता के आगे पूजा थार हवे बेटी ,
हियरा के हीर आंसू धार हवे बेटी ,
कीच काच बीच कंचन कमल हवे ना ।
ई त बेटी नाहीं देखीं गंगाजल हवे ना ।।
नाजुक सनेहिया के डोर हवे बेटी ,
मघवा आ पुसवा के भोर हवे बेटी ,
सबका होठे होठे गीत आ गजल हवे ना ।।
सीमा वाले सइयां कर कटार हवे बेटी ,
भइया के कलाई के दुलार हवे बेटी ,
पति , पुत्र अरु पृथ्वी के बल हवे ना ।
ई त बेटी नाहीं देखीं गंगाजल हवे ना ।।
अन्नपूर्णा लक्ष्मी सरस्वती कहाले ,
होला जब समर रणचंडी बनि जाले ,
अबला कहाले पर सबल हवे ना ।
ई त बेटी नाहीं देखीं गंगाजल हवे ना ।
शुक्रवार, 28 जनवरी 2011
दानव दहेजवा
दानव दहेजवा बनल बा कसाई ।
अपने ई देशवा से कब जाने जाई ।।
गांव नगर शहर शहर फइलल ई रोग बा,
पढल लिखल अनपढ़ गंवार सब लोग बा,
मतिया में सबके लगल बाटे काई ।
अपने ई देशवा से कब जाने जाई ।।
रूपिया के आगे बा रूप गुन फीका,
बिटिया के दुर्लभ भइल मांगटीका,
छलिया लगा आग देलन जलाई ।
अपने ई देशवा से कब जाने जाई ।।
दुलहिन क दुःख कवनों ससुई न बूझे,
उनहू के बेटी बा तनिको न सूझे,
कस लागी ससुरे में फांसी लगाई ।
अपने ई देशवा से कब जाने जाई ।।
सोमवार, 10 जनवरी 2011
दिहलू सुधार गोरिया
कइसे करजा उतारब तोहार गोरिया॥
रहनीं गाँवे क बिगड़ल लखेरा गोरी
झूठ बोली लबरई करीं हम चोरी
प्यार मंगनी न सुनलू गोहार गोरिया ।
कइसे करजा उतारब तोहार गोरिया॥
कहलू अपने के जाके सुधार तनी
रूप नाहीं सहूरे क होख धनी
नाहीं सपना में पाइब विसार गोरिया ।
कइसे करजा उतारब तोहार गोरिया ॥
बात लागल करेजवा में बान की तरह
पढ़े लिखे गुने लगलीं इन्शान की तरह
भइल किस्मत हमार गोटेदार गोरिया
कइसे करजा उतारब तोहार गोरिया
लेके मागीं में सेनुर पराया भइलू
बानी अबले हहात असहाय कइलू
हमके पूजेला यू पी बिहार गोरिया ।
कइसे करजा उतारब तोहार गोरिया ॥
बुधवार, 29 दिसंबर 2010
रहि - रहि आवे अंगड़ाई
बुझाला परदेशी आजु आई ।
रहि - रहि खपड़ा पे काग बोलि जाला
रहि - रहि पुरुवा किवाड़ खोलि जाला
हमरा के डँसे तनहाई ,
बुझाला परदेशी आजु आई ।
हथवा से भरल गिलास छूटि जाला
सुतला में रतिया के नींद टूटि जाला
रहि - रहि आवेले जम्हाई ,
बुझाला परदेशी आजु आई ।
रहि - रहि हाथ बायाँ गोड़ खजुआला
चरचा करत आवें हमके बुझाला
अँखिया से आवेले रोवाई ,
बुझाला परदेशी आजु आई ।
मोर देवरनियां मारेले रोज ताना
कसके करेजवा विरह सुनि गाना
केकरा से चिठिया पठाई ,
बुझाला परदेशी आजु आई ।
हमरा से कहने सवनवां में आइब
मेंहदी रचाई के सगुनवां मनाइब
नाहीं अइले 'कंचन' कसाई,
बुझाला परदेशी आजु आई ।
सोमवार, 13 दिसंबर 2010
शोर हो गइल
उनके देखलीं त मनवा चकोर हो गइल
बात उनसे न कइलीं कि शोर हो गइल
चांन बदरी में कतहीं लुकाइल रहे
उनकी हंसला से सगरी अंजोर हो गइल
बात बात में कोहाइल आ रूसल करे
एतना नाजुक सनेहिया के डोर हो गइल
मन में सूरत के खाली बसा लिहली त
लोग लागल कहे मन क चोर हो गइल
जान लेके बुझाता कि आँसू रुकी
एतना कंचन के दिल में मरोर हो गइल ।
रात सपना में हमके बुला लिहलू
जब कि जिनगी में सचहूँ भुला दिहलू
रूप आ गुन क दुनिया पुजारी हवे
प्यार पैसा बदे सब भिखारी हवे
भीख मंगली त हमके झुला दिहलू
रात सपना में हमके बुला लिहलू ।
मन में कइ कइ तरह क विकार घेरलस
लाज संकोच खुद के विचार घेरलस
प्यार मिसिरी नियर तू घुला दिहलू
रात सपना में हमके बुला लिहलू ।
दर्द सपना कुरेदलस हरा हो गइल
तप के कंचन अगिन में खरा हो गइल
गीत गावत सुनावत रुला दिहलू
रात सपना में हमके बुला लिहलू ।